वायरस का श्राप – अभय शर्मा

कोरोना वायरस डिसीज़ महामारी ने सारी दुनिया के सामने विश्व युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी है युद्ध के एक पक्ष मे सारा का सारा विश्व खड़ा है और दूसरी ओर एक विषाणु उन्हे चुनौती दे रहा है – जागो, संभलो अपने आपको बचा सकते हो तब बचाओ, नही तो मेरा तो काम संक्रमण का है । अगर संक्रमण इसी तरह और इसी रफ़्तार से बढता रहा तो मुझे दोष न देना कि दुनिया के लोग मेरी चपेट में क्यों आ गये और इनमें से कई एक को अपनी जान से भी हाथ क्यों धोना पड़ रहा है । मै आपकी किसी भी अदालत में प्रस्तुत होने को बाध्य नही हूं आप मुझे कैदी बनाकर किसी प्रकार की जेल में बंद भी नही कर सकते ।
जी मैं कोविड-19 बोल रहा हूं, विषाणू शास्त्री अब मुझे SARS CoV-2 विषाणु के नाम से जानते हैं, पर फिर भी प्रचलित तौर पर मुझे कोरोनावायरस के रूप में ही लोग अधिक जानते हैं । मेरा प्रथम परिचय चीन के वुहान शहर से संबंध रखता है, दुनिया की पाबंदियों के डर से मेरी जन्मस्थली चीन ने मेरे बारे में विस्तृत जानकारी को छुपाया और संक्रमण संबंधित आंकडे दुनिया के सामने रखने में देर कर दी, इसका सबसे विशाल दुष्परिणाम चीन के अतिरिक्त इटली ईरान, कोरिया, स्पेन, इंग्लैंड और महाशक्ति अमेरिका सहित सैंकडो देश मेरी चपेट में आ गये हैं । अब इसमें मेरा क्या कसूर है कि आप लोगों में प्रभावित लोगों से दूरी रखने कि भी तमीज़ नही है । लोग, खांसते और छींकते वक्त भी अपने नाक मुंह ढक कर नही रखते, संक्रमण से बचने के लिये साबुन से हाथ नही धोते,
कभी कभी आकर एक दूसरे से गले लिपट कर मिलने में बुराई नही है पर हां अगर मेरी मौज़ूदगी में भी इस तरह के व्यव्हार करोगे तो हर्ज़ाना तो भरना ही पडेगा हुज़ूर, एक नरेंद्र मोदी नामक व्यक्ति मुझे जड़ से उखाड़ फेंकने के लिये प्रयत्नशील है, देखते हैं भारत देश के साथ उप-युद्ध में आखिर क्या नतीजा या परिणाम निकलता है । जनता कर्फ्यू मेरे लिये अभिशाप साबित हो सकता है और हो सकता है मैं भारत जैसे विशाल देश को अपनी गिरफ्त में पूर्ण रूप से न भी ले पाऊं ।